Friday, June 26, 2015

लघुकथा -- चुप्पी

लघुकथा
चुप्पी
दस वर्ष का रोहन बहुत ही नटखट व बातूनी बच्चा है। घर में कोई मेहमान आता है तो रोहन उससे खूब बातें करता है। माँ और पिताजी कुछ भी बात करें रोहन अपनी और से कुछ न कुछ जरूर जोड़ देता है।
जैसे कुछ दिन पहले पड़ोस से शर्माजी आए। पिताजी उनके साथ बैठ कर गप्पें लड़ा रहे थे। रोहन भी पास बैठा हर बात में अपनी राय दिए जा रहा था। माँ ने हलवे के साथ चाय लाकर परोसी। कटोरी हाथ में लेते ही रोहन के पिता बोले "अरे, हलवा ठीक से गरम तो कर ले"। रोहन बोला "पापा, आपने तो कहा था ज्यादा गरम खाने से जीभ जल जाती है"।
कल रोहन के मामा रवि मेरठ से आए थे। शायद माँ ने बुलाया था। बरामदे में पिताजी के पास बैठे थे। माँ चाय लेकर आई तो रवि ने बहन के सूजे हुए चेहरे को देखकर पूछा "यह क्या हुआ?" माँ चुप रही। रोहन भी चुप था। चुप्पी सब कुछ कह रही थी।
-अकुभा

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