Thursday, March 20, 2014

हवन कुण्ड


यह हवन कुण्ड है 
उठने दो लपटों को व 
बहने दो धूएँ की धार
बस आहुति डाले जाओ

कई दीवारें गिरनी चाहिएं
कई बीमारियां भस्म हों 
ज़न जन के सहयोग से 
बस आहुति डाले जाओ

सदियों की गुलामी के बाद
कितनों की कुर्बानी से
जीता है जो देश हमारा
बस आहुति डाले जाओ

झूठ की खेती की जिन्होंने
लूटा देश की मिट्टी को
उखाड़ फेंको उनका राज्य
बस आहुति डाले जाओ

नया मुखोटा पहन दोबारा
लुटेरा फिर न लौटा हो
अच्छे से पहचान लो उसको
बस आहुति डाले जाओ

खुली रहे दिमाग की खिड़की
नारों से न निर्णय हो
हर पहलू को सोच समझ कर
बस आहुति डाले जाओ

सामग्री है सबके लिये
कोई अछूता रह न जाये
अंगुली पर निशान हो सबके
बस आहुति डाले जाओ - अकुभा