हर मस्जिद के नीचे
दबे हैं शिवलिंग
और इन शिवलिंगों के नीचे
दबी हैं सैंकड़ों असफलताएं,
करोड़ों लोगों के अरमान,
टूटता रुपया, चढ़ते दाम,
नवयुवकों की नौकरियां,
सड़कों को ढूंढती पगडंडियाँ,
धनकुबेरों की भरी तिजोरियां,
लोक संपत्ती की उड़ान विदेश
और शांति को तरसता देश।
- अकुभा