Tuesday, July 5, 2022

तेरे मेरे

 नाम कोई बोली कोई

लाखों रूप और चेहरे

खोल के देखो प्यार की आँखें

सब तेरे सब मेरे

- अकुभा

सवाल

 हम उन्हें सवालों के दायरों में बांधते हैं

उनके जवाब नहीं पत्थरों-से सवाल आते हैं।

- अकुभा

रोटियाँ

 बहुत से हैं

हम में से

जो लड़े भी नहीं

जिन्होंने न गुलाब देखे

न बिलखते बच्चे के 

आँसू पोंछे 

केवल रोटियों को चुपड़ने

के प्रयास को 

जीवन का लक्ष्य समझते रहे

पेट पर हाथ फेर

डकार का जिहाद करते रहे

उनके चेहरे शून्यवत् 

आँखे पथराई हों

कब्र में उतारते 

या चिता पर रखते

तो क्या आश्चर्य। 

- अकुभा

आँखे

 


आंखो में भरे हों आंसू

नशा हो, उन्मादी उबाल हो 

या दंभ का साया हो, 

जहालत की मकड़ी ने 

बनाया एक जाल हो, 

झूठी परम्पराओं ने

अंधेरा कर डाला हो

गुरबत की मजबूरी ने

धूसर कर डाला हो आईना 

तो साफ नहीं दिखाता


सब कुछ साफ हो

तो उल्टा लिखा भी 

सीधा पढ़ लेती हैं आंखें 

- अकुभा 


ताकत

 एक शहंशाह को लगा 

उसकी ताकत का

सारी दुनिया को

अंदाज़ा नहीं है अभी 

कुछ तो करना होगा

जिससे धाक जमे

उसके फकत नाम से

लोग तो लोग

देश भी कांप उठें


उसने कहा युद्ध हो

उसके मंत्रियों ने कहा

हां, भीषण युद्ध हो

अभी के अभी युद्ध हो

सेनाओं ने आयुध 

भयंकर तोपें और सामान 

कर दीं रवाना सीमा पर

तोपों के गोलों ने 

किया अरमानों पर वार

ध्वस्त किये घोंसले

छीन लिए हंसने के अधिकार 

चाक किए धड़कते दिल 

विषाक्त किया हवा को

गाड़ दिया झण्डा 

नफरत की सदियों का


शहंशाह ने लगाया 

गरजता ठहाका

कांप उठे धरती पर 

तड़पते अधजले पक्षी

- अकुभा


कवि

 तुम कवि हो

देखते हो फूल 

बमों के गहराते धुएं मे

सुगंध महकाती है 

तुम्हारी कल्पना को

जहां इन्सानों के चीथड़े

सड़ रहे हों

इसी धुएं से उठेगी 

एक सुबह,

और शायद सींच देगी

शाहों के सूखे दिल ।


- अकुभा

1984

 


1984


I stay quiet

Listening to the faint

Distant noises

All the people

Around me

Are silent too

With fear written large

On their faces

All have questions 

That they want to ask

But there is no one

Who can answer

The column of smoke

Rising at distance

Is another tyre

Burning around a head

The faint shrieks

Flashing fires

Burning houses

We are all witnesses

Of countless shrieks

Countless burning tyres 

But we pretend to forget

And move on

We didn't know

Those whose existence 

Was wiped out.

What can we do

Helpless as we are


- Akubha

Teary Eyes

 Teary eyes 

have blurred vision

But a morning 

soaked in 

overnight rain water 

is sharp and crisp


Sharp and crisp

To the extent 

That it starts

Hurting


All the dreams

Dreamt with sleepless eyes

Memories revised 

Over and over

Soaked in tears 

Dried in eyes

Like sand particles

Sharp and crisp

Hurt 

Hurt the eyes


The crystal clear morning

Hurts all over

Over and over

Yet, never over. 


- Akubha


सच

 सच इतना अदृश्य है

पर कौन है चिंतित 

जब तक कोई प्रश्न 

पूछने की हिम्मत न करे


विकृत आईने 

दिखाते हैं हास्यास्पद बिंब

बिंब जो छुपा देते हैं

दर्द और भूख

हंसी के ठहाकों में 

डूब जाती हैं चीखें

अनाथ हुए बच्चों की

विधवा हुई औरतों की 

और भीड़ द्वारा मारे गये 

इन्सानों की


आकाश का रंग

है फीका नीला

इसको सजाते है 

वायुसेना के जहाज

रंगीन धारियां बना कर

जिसे देखकर 

लोग बेतहाशा तालियां

बजाते है

और मनाते हैं 

स्वतंत्रता के पर्व 

स्वतंत्रता भूख और बिमारी से

और धर्म के दुश्मनों से


- अकुभा





अंधेरा

 अंधेरा 


कितनी अजीब चीज है

अंधेरा

दुनिया के सब काले

अफसाने 

कालिख के कारखाने

काला जादू

काले कारनामे

गायब कर देता है 


अंधेरा 

दिलों में बैठे गम

आँखों की बेशर्मी

ठंडे चूल्हे की आंच

रेवड़ियों की बांट

सब गायब कर देता है


अंधेरा

भूख पर राजनीति

धर्म की बदनीति

नफरत की आग

बुझे हुए चिराग 

सब गायब कर देता है


अंधेरा

शिक्षा और ज्ञान

देश का विधान 

मीठी जुबान 

दोस्ती और ईमान

गंगा-जमुना की शान

सब गायब कर देता है


अंधेरा मन में होता है

मन में प्रेम हो 

तो जग रौशन हो जाता है

सारा दर्द, सारी नफरत

सब खाईयाँ 

गायब हो जाती हैं 


- अकुभा



आईना

आईना उनको दिखाओ

जो गलतफहमी में हैं

हमेशा तो कोई जिया नहीं करता


पेड़ कितना भी बड़ा हो

रहता जमीन पर है

जड़ के बिना वो हरा नहीं रहता


माज़ी में क्या हुआ छोड़

मुस्तकबिल का ख्याल कर

पीछे देखते कोई आगे नहीं बढ़ता


अकड़ते क्यों हो कोतवाल 

सरकारी नौकर ही हो न 

वर्दी पहन कोई मालिक नहीं बनता


आज तुम कुर्सी पे बैठे हो

मुल्क का कुछ भला करो

यह मौका सबको मिला नहीं करता


- अकुभा


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