Friday, June 26, 2015

अमुल्य पल

ये पल हैं बहुत अमुल्य
सजों कर रखना इनको।
यह कोमलता अदभुत
न रहती बरसों बरसों।
फल है उस तरुवर का
जो उपजे प्रेम धरा पर ।
मुट्ठी भर पकड़ो सूरज
लिखो समय की रेत पर ।
स्मरण रहे अकुभा
यह दिन है ढलता
जो डूबा मधुबंधन में
वही किनारे लगता।
-अकुभा

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