नाम कोई बोली कोई
लाखों रूप और चेहरे
खोल के देखो प्यार की आँखें
सब तेरे सब मेरे
- अकुभा
बहुत से हैं
हम में से
जो लड़े भी नहीं
जिन्होंने न गुलाब देखे
न बिलखते बच्चे के
आँसू पोंछे
केवल रोटियों को चुपड़ने
के प्रयास को
जीवन का लक्ष्य समझते रहे
पेट पर हाथ फेर
डकार का जिहाद करते रहे
उनके चेहरे शून्यवत्
आँखे पथराई हों
कब्र में उतारते
या चिता पर रखते
तो क्या आश्चर्य।
- अकुभा
○
आंखो में भरे हों आंसू
नशा हो, उन्मादी उबाल हो
या दंभ का साया हो,
जहालत की मकड़ी ने
बनाया एक जाल हो,
झूठी परम्पराओं ने
अंधेरा कर डाला हो
गुरबत की मजबूरी ने
धूसर कर डाला हो आईना
तो साफ नहीं दिखाता
सब कुछ साफ हो
तो उल्टा लिखा भी
सीधा पढ़ लेती हैं आंखें
- अकुभा
एक शहंशाह को लगा
उसकी ताकत का
सारी दुनिया को
अंदाज़ा नहीं है अभी
कुछ तो करना होगा
जिससे धाक जमे
उसके फकत नाम से
लोग तो लोग
देश भी कांप उठें
उसने कहा युद्ध हो
उसके मंत्रियों ने कहा
हां, भीषण युद्ध हो
अभी के अभी युद्ध हो
सेनाओं ने आयुध
भयंकर तोपें और सामान
कर दीं रवाना सीमा पर
तोपों के गोलों ने
किया अरमानों पर वार
ध्वस्त किये घोंसले
छीन लिए हंसने के अधिकार
चाक किए धड़कते दिल
विषाक्त किया हवा को
गाड़ दिया झण्डा
नफरत की सदियों का
शहंशाह ने लगाया
गरजता ठहाका
कांप उठे धरती पर
तड़पते अधजले पक्षी
- अकुभा
तुम कवि हो
देखते हो फूल
बमों के गहराते धुएं मे
सुगंध महकाती है
तुम्हारी कल्पना को
जहां इन्सानों के चीथड़े
सड़ रहे हों
इसी धुएं से उठेगी
एक सुबह,
और शायद सींच देगी
शाहों के सूखे दिल ।
- अकुभा
1984
I stay quiet
Listening to the faint
Distant noises
All the people
Around me
Are silent too
With fear written large
On their faces
All have questions
That they want to ask
But there is no one
Who can answer
The column of smoke
Rising at distance
Is another tyre
Burning around a head
The faint shrieks
Flashing fires
Burning houses
We are all witnesses
Of countless shrieks
Countless burning tyres
But we pretend to forget
And move on
We didn't know
Those whose existence
Was wiped out.
What can we do
Helpless as we are
- Akubha
Teary eyes
have blurred vision
But a morning
soaked in
overnight rain water
is sharp and crisp
Sharp and crisp
To the extent
That it starts
Hurting
All the dreams
Dreamt with sleepless eyes
Memories revised
Over and over
Soaked in tears
Dried in eyes
Like sand particles
Sharp and crisp
Hurt
Hurt the eyes
The crystal clear morning
Hurts all over
Over and over
Yet, never over.
- Akubha
सच इतना अदृश्य है
पर कौन है चिंतित
जब तक कोई प्रश्न
पूछने की हिम्मत न करे
विकृत आईने
दिखाते हैं हास्यास्पद बिंब
बिंब जो छुपा देते हैं
दर्द और भूख
हंसी के ठहाकों में
डूब जाती हैं चीखें
अनाथ हुए बच्चों की
विधवा हुई औरतों की
और भीड़ द्वारा मारे गये
इन्सानों की
आकाश का रंग
है फीका नीला
इसको सजाते है
वायुसेना के जहाज
रंगीन धारियां बना कर
जिसे देखकर
लोग बेतहाशा तालियां
बजाते है
और मनाते हैं
स्वतंत्रता के पर्व
स्वतंत्रता भूख और बिमारी से
और धर्म के दुश्मनों से
- अकुभा
अंधेरा
कितनी अजीब चीज है
अंधेरा
दुनिया के सब काले
अफसाने
कालिख के कारखाने
काला जादू
काले कारनामे
गायब कर देता है
अंधेरा
दिलों में बैठे गम
आँखों की बेशर्मी
ठंडे चूल्हे की आंच
रेवड़ियों की बांट
सब गायब कर देता है
अंधेरा
भूख पर राजनीति
धर्म की बदनीति
नफरत की आग
बुझे हुए चिराग
सब गायब कर देता है
अंधेरा
शिक्षा और ज्ञान
देश का विधान
मीठी जुबान
दोस्ती और ईमान
गंगा-जमुना की शान
सब गायब कर देता है
अंधेरा मन में होता है
मन में प्रेम हो
तो जग रौशन हो जाता है
सारा दर्द, सारी नफरत
सब खाईयाँ
गायब हो जाती हैं
- अकुभा
आईना उनको दिखाओ
जो गलतफहमी में हैं
हमेशा तो कोई जिया नहीं करता
पेड़ कितना भी बड़ा हो
रहता जमीन पर है
जड़ के बिना वो हरा नहीं रहता
माज़ी में क्या हुआ छोड़
मुस्तकबिल का ख्याल कर
पीछे देखते कोई आगे नहीं बढ़ता
अकड़ते क्यों हो कोतवाल
सरकारी नौकर ही हो न
वर्दी पहन कोई मालिक नहीं बनता
आज तुम कुर्सी पे बैठे हो
मुल्क का कुछ भला करो
यह मौका सबको मिला नहीं करता
- अकुभा
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