एक शहंशाह को लगा
उसकी ताकत का
सारी दुनिया को
अंदाज़ा नहीं है अभी
कुछ तो करना होगा
जिससे धाक जमे
उसके फकत नाम से
लोग तो लोग
देश भी कांप उठें
उसने कहा युद्ध हो
उसके मंत्रियों ने कहा
हां, भीषण युद्ध हो
अभी के अभी युद्ध हो
सेनाओं ने आयुध
भयंकर तोपें और सामान
कर दीं रवाना सीमा पर
तोपों के गोलों ने
किया अरमानों पर वार
ध्वस्त किये घोंसले
छीन लिए हंसने के अधिकार
चाक किए धड़कते दिल
विषाक्त किया हवा को
गाड़ दिया झण्डा
नफरत की सदियों का
शहंशाह ने लगाया
गरजता ठहाका
कांप उठे धरती पर
तड़पते अधजले पक्षी
- अकुभा
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