Friday, June 26, 2015

Three small poems

1.

बड़ा अजीज है ये ज़ख्म भी, क्योंकि 
ये तोहफा किसी दोस्त ही ने दिया है ।

2. 

बड़ी मीठी है ये दर्द 
सीने में, यकीनन, 
रह रह कर आती है 
किसी दोस्त की तरह। 

3. 

रूठा है कोई दोस्त, 
वजह-ए-नज़ाकत-ए-दिल, 
धडकता है जो सीने में मेरे
एक नाज़ुक सा दिल ही तो है ।

-अकुभा

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