Saturday, June 8, 2019

होम डिलीवरी


क्या कभी पिज़्ज़ा की तरह
ख़्वाब की भी
होम डिलेवरी हुआ करेगी

क्या सूरज के भी
छोटे छोटे पैकेट
बिका करेंगे

क्या बेसुध नींद में
ख़्वाबों की इतनी कमी हो जाएगी
कि उठने के बाद
आँखें खोल कर भी
रोशनी का अहसास न होगा।

- अकुभा

No comments: