Saturday, June 8, 2019

ईरोम



किसने कहा सूरज निकलने पर दिन होता है
कितनी ही आत्माएँ भरी दोपहर में भी
अंधेरों में भटकती रहती हैं
खुली आँखों से भी रोशनी का अहसास नहीं होता
कितने जीव निर्जीव की शक्ल पड़े रहते हैं

महिमा किसकी होती है
महिमा होती है जीतने वाले की
भीड़ केवल जीतने वाले के पीछे चलती है
जैसे पाईड पाइपर के पीछे 
चूहे चलते हैं
क्या इन चूहों का भीड़ बना कर चलना
लोकतंत्र का द्योतक है

किसे अपने भविष्य का पता है
लेकिन जो कूएँ में कूदता है
क्या उसे तनिक भी अपने 
संभावित भविष्य का 
अहसास नहीं होता

कौन जानता है अपने भले की बात
रोटी के लिए कूद जाने वाला जानवर 
कहाँ तय कर पाता है
कि रोटी मुहँ में दबाए 
जब वह नीचे आएगा
तब वह कहाँ गिरेगा

⁃ अकुभा

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