Saturday, June 8, 2019

बेटी


मेरी कामना है
मेरी बेटी इन्सान बने
एक बेहद साधारण इन्सान
न तो वह कोई परी हो
न ही कोई देवी
न लक्ष्मी, न दुर्गा, न सरस्वती
केवल एक साधारण इन्सान
जब वह घर से बाहर निकले
हर कोई उसे अनदेखा कर दे
वो कैसी दिखती है
या क्या पहनती है
कहाँ जाती है, क्या करती है
इसमें किसी को कोई
दिल्चस्बी न हो
उसके बारे में जब किसी को
कोई फ़ैसला करना हो
या राय बनानी हो
तो उसका रंग, चेहरा, लिंग
या कपड़े देख कर न बनाए
किसी काम के लिए उसे कभी 
अलग पंक्ति में खड़ा न होना पडे
उसके भाग्य का फ़ैसला करते हुए
कोई उसे बेचारी न समझे
उसे अपने हक के लिए
लड़ना स्वयं आता हो
जीवन में वो जितना पाये 
वह उसकी योग्यता, मेहनत व लगन
से मिले, न कम, न अधिक
वह अपनी मंज़िल व रास्ता
स्वयं तय करे
जैसे सब साधारण इन्सान करते हैं
मेरी कामना है 
मेरी बेटी एक इन्सान बने
केवल एक साधारण इन्सान। 
⁃ अकुभा

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