Saturday, June 8, 2019

कौवा



तीन वर्ष की ऐशा हमारे साथ के घर में रहती थी। रोज़ाना जब उसकी माँ व पिता काम पर जाते तो वह खेलने हमारे घर आ जाती थी और हमारे पिताजी की गोदी में बैठ कर कहती दादू कहानी सुनाओ। कौन सी कहानी सुनाऊँ इस गुड़िया को - पिताजी सोचते और फिर ऐसे ही कोई कहानी बना देते, जैसेकि एक चिड़िया थी। वो खाना बना रही थी। एक कौआ आया और बोला - एक रोटी मुझे भी दे दो। चिड़िया बोली - नहीं है रोटी, भागो यहाँ से। कौआ फुर्र से उड़ गया। ऐशा रोज़ वही कहानी सुनती और ख़ुशी से किलकारियाँ भरती।

एक दिन दादू ने कहा - अच्छा आज तुम कहानी सुनाओ। ऐशा ने वही चिड़िया वाली कहानी सुनाई। कौआ आया, रोटी माँगी, चिड़िया ने कहा भागो, कौआ फुर्र से उड़ गया।

यूँही ऐशा बड़ी हो गई। कॉलेज जाने लगी। एक दिन बड़ी दुखद घटना हो गई। ऐशा निर्भया बन गई। चारों ओर सनसनी फैल गई। हम सब अस्पताल ऐशा से मिलने गए। दादू ऐशा के बेड के पास उसका हाथ पकड़ कर ख़ामोश खड़े थे। दोनों की आँखों से आँसू बह रहे थे। कुछ देर बाद ऐशा बोली - कौआ आया था। मैंने बहुत कहा भागो। पर कौआ नहीं उड़ा। 

-अकुभा

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