ये जो गहरा सा कोहरा छाया है
किसी याद में खोया है शायद समां
कोई सैलाब सा अभी आने को है
इक दर्द सा उठ रहा है सीने में यहाँ
क्या वाक़ई कोई उठ कर गया है
कुछ ख़ाली जगह दिख रही है वहाँ
चलो बाँध लें सामान मुद्दतों के लिए
सफ़र पर चलना है न जाने कहाँ कहाँ
⁃ अकुभा
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