Saturday, June 8, 2019

भक्तों का गीत



परदा पड़ा है अक़्ल पर
बकते है बदज़ुबान
कानों से सुनते कुछ मगर
सुनता कुछ और दिमाग़ ।

कहने को धर्म के रखवाले
मुँह पर देशो समाज
उगलते हैं आग हर वक़्त 
वहशियत पे करते नाज ।

करते हैं राम की बातें 
मन से हैं हराम
जानवर की करते पूजा
इन्सां का क़त्लेआम ।

गौतम की इस ज़मीन पर
गांधी का किया ख़ून 
दंगों की राजनीति है
बेइज़्ज़त हर क़ानून।

कब तक चलेगा ये जुनूँ
कब तक ये गंदगी
आख़िर कभी तो रुकेगी
ये दौरे दरिंदगी।
-अकुभा

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